रिश्तो के नाजुक डोरे तोड़े थोड़ी जाते है अपनी आखे दुखती हो तो फोड़ी थोड़ी जाती है ये कांटे ये धूप ये पत्थर इनसे कैसा डरना है राहे मुस्किल हो जाए तो उन्हे छोड़ी थोड़ी जाती है
VERY NICE FANTASTIC
Superb sir
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ReplyDeleteFANTASTIC
Superb sir
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